वेल्डिंग ज्वाला / फ्लैम के प्रकार । Classification of Welding Flame

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वेल्डिंग ज्वाला / फ्लैम के प्रकार । Classification of Welding Flame

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आपको पता ही होगा वेल्डिंग करने के लिए विभिन्न प्रकार की गैसों का प्रयोग किया जाता है जिसमे से सबसे प्रमुख आक्सी-एसीटिलीन ज्वाला का प्रयोग किया जाता है जिसमें आक्सीजन और एसिटिलीन गैस को चार भागों में बाट कर फ्लैम तैयार किया जाता है ।

वेल्डिंग ज्वाला / फ्लैम के प्रकार । Classification of Welding Flame
वेल्डिंग ज्वाला / फ्लैम के प्रकार । Classification of Welding Flame

एसिटिलीन फ्लेम / Acetylene Flame

आक्सी-एसीटिलीन फ्लेम को जब प्रारम्भ में सुलगाया जाता है तो उस समय केवल एसिटिलीन ही बाहर आती है आक्सीजन उसके साथ मिल कर नही आती यह एसिटिलीन वायुमण्डल की आक्सीजन की सहायता से जलती है और बहुत ही ज्यादा काला गाढ़ा धुँवा देती है जिससे वायुमंडल में बिना जला कार्बन छोड़ती है इसका उपयोग मोल्ड की दीवारों को अधिक मात्रा में कार्बन देने के लिए किया जाता है।

उदासीन या न्यूट्रल फ्लेम / Neutral Flame

उदासीन फ्लेम में ऑक्सीजन तथा एसिटिलीन की मात्रा को लगभग बराबर मात्रा मिला कर जलाया जाता है इसका तापमान लगभग 3260’C होता है। इस फ्लेम को उदासीन फ्लेम इसलिए भी कहा जाता है , क्योंकि इसके द्वारा वेल्ड मेटल में कोई रासायनिक परिवर्तन नही होता। इसके द्वारा माइल्ड स्टील, स्टेनलेस स्टील, कास्ट आयरन, कॉपर तथा अलुमिनियम आदि धातुओं को वेल्ड किया जाता है।

कार्बूराइजिंग या रिर्डयूसिंग फ्लेम / Carburising or Reducing Flame

यदि उदासीन ज्वाला को दी जाने वाली ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर दिया जाए तो ज्वाला कार्बूराइजिंग या रिर्डयूसिंग फ्लेम में परिवर्तन हो जाती है इस फ्लेम में ऑक्सीजन के अनुपात में एसिटिलीन की मात्रा अधिक होती है इसका तापमान लगभग 3038’C होता है यह फ्लेम हार्ड फेसिंग या केस हार्डनिंग के काम आता है इस ज्वाला का प्रयोग निकिल, मोनल मेटल तथा चाँदी पर टाँका लगाने के लिए किया जाता है ।

आक्सीडाइजिंग फ्लेम / Oxidising Flame

यदि उदासीन फ्लेम में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ा दिया जाये तो यह आक्सीडाइजिंग फ्लेम बन जाती है यह फ्लेम नीले रंग की दिखती है और जलते समय शोर करती है । आक्सीडाइजिंग फ्लेम का तापमान 3480’C तक होता है जो कि सभी फ्लेम से ज्यादा है इस फ्लेम में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होने के कारण वेल्ड मेटल का ऑक्सीकरण होने की सम्भावना होती है इस लिए इसका प्रयोग वेल्डिंग में कम किया जाता है स्टील के लिए इस फ्लेम का प्रयोग नही किया जाता । 
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