Bharat Ki Khoj Kisne Ki भारत एक समय सोने की चिड़िया कही जाती थी, उस समय भारत के पास बहुत सारा धन और खजाना था जिससे प्रभावित होकर दुनिया के कई बड़े-बड़े देश भारत के साथ व्यापार करना चाहते थे, इस समय भारत अन्य देशों के मुकाबले काफी समृद्ध और धनी हुआ करता था। वह कई देशों के नजरों में सुंदर और आकर्षण का केंद्र बना हुआ था।
भारत इतना सुंदर और आकर्षक था कि बाहर के लोग यहाँ खींचे चले आते थे। फिर यहां एक सवाल सबके मन में आता है कि भारत की खोज आखिर किसने की ? किसे सबसे पहले भारत देश के बारे में पता चला ?
Bharat Ki Khoj Kisne Ki | भारत की खोज किसने की
स्थान | कालीकट, केरल |
किसने किया | वास्कोडिगामा |
सन | 1498 |
प्रकार | खोज |
महाद्वीप | एशिया |
इतिहास के अनुसार वास्कोडिगामा ने भारत की खोज करते हुए समुद्री मार्ग से आया था। वास्कोडिगामा को ही यूरोप से एशिया तक कि समुद्री मार्ग खोजने का श्रेय दिया जाता है।

भारत की खोज पुर्तगाल के नाविक वास्कोडिगामा ने की। वास्कोडिगामा अपने 4 नाविकों के समूह के साथ 20 मई 1498 में केरल कालीकट बंदरगाह नामक स्थान पर पहुंचे तथा व्यापार खोजने के उद्देश्य से उसने भारत की खोज की थी।
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पश्चिमी देशों के लोगों को भारत की बारे में पहले से पता था वह अच्छी तरह से जानते थे कि भारत सोने की चिड़िया है। यहां पर बहुत से धनसंपदा है लेकिन पश्चिमी देशों के लोगों को भारत की भौगोलिक स्थिति का ज्ञान नहीं था। पश्चिमी देश के लोग यह जानते थे कि भारत में अपार खजाना और बहुत से खनिज संपदा उपलब्ध है। उस समय में भारत में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान के इलाके भी आते थे इस तरीके से तिब्बत का इलाका म्यामार का इलाका यह सारा का सारा हिस्सा भारत के हिस्से में हुआ करता था।
वास्कोडिगामा ने भारत की खोज कैसे की
वास्कोडिगामा ने 8 जुलाई 1497 में 170 आदमियों और 4 जहाजों के साथ पुर्तगाल शहर से अपनी यात्रा की शुरुआत की थी। पुर्तगाल से निकलने के बाद मोरक्को देश के निकट स्थित केंद्रीय दीप से गुजरते हुए उसका जहाज कैंप वर्ती दीप समूह पर पहुंचा और वह 3 अगस्त तक वहां रुका।
वास्कोडिगामा अपने जहाज में बड़े-बड़े पत्थर का स्तंभ लिए हुए चल रहा था जिससे वह इन स्तंभों को समुद्री मार्ग में रखते हुए अपने मार्ग को चिन्हित करते हुए आगे बढ़े इसी तरह निरंतर आगे बढ़ते हुए वास्कोडिगामा 1498 मैं भारत की खोज के लिए निकला अपने 4 नाविकों के साथ वह अफ्रीका के तटों से होता हुआ दक्षिण अफ्रीका के केप ऑफ गुड से आगे बढ़ता रहा और हिंद महासागर से होते हुए 20 मई को केरल के कालीकट नामक बंदरगाह स्थान पर पहुंचा उस समय भारत का तत्कालीन राजा जमोरिन ने वास्कोडिगामा का स्वागत किया और उसे भारत में व्यापार करने की अनुमति दे दी।
वास्कोडिगामा से जुड़ी कुछ जानकारियां
वास्कोडिगामा का जन्म 1460 ईस्वी में पुर्तगाल के सिंस नामक शहर में एक धनी परिवार में हुआ था। वास्कोडिगामा के बाद सन 1487 ईसवी में एक प्रसिद्ध पुर्तगाली खोजकर्ता रोटलो नायर ने पुर्तगाल से अफ्रीका के दक्षिणी भाग तक यात्रा करते हुए यह पता लगाया कि हिंद महासागर और अटलांटिक महासागर आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
वास्कोडिगामा को समुद्र और समुद्री मार्गों के बारे में बहुत जानकारी थी, इसलिए वास्कोडिगामा को समुद्री यात्रा में बहुत उत्सुकता रहती थी।
भारत की खोज से व्यापार में फायदा
Bharat Ki Khoj Kisne Ki वास्कोडिगामा द्वारा भारत की खोज करने के बाद पश्चिमी देशों के साथ भारत का संबंध और भी गहरा हो गया जिससे यहां पर व्यापार के मार्ग खुल गए। इस खोज का इतिहास में इतना महत्व है कि बहुत सारी इतिहासकारों ने इस यात्रा को कोलंबस द्वारा अमेरिका के समुद्री मार्ग की खोज करने से भी अधिक महत्वपूर्ण माना है।
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Q. भारत की खोज किसने की थी ?
Ans. भारत की खोज वास्कोडिगामा ने की थी।
Q. भारत की खोज कब की गई थी ?
Ans.भारत की खोज वास्कोडिगामा द्वारा 20 मई 1498 इसी में की गई थी।
Q. भारत की खोज नामक पुस्तक के लेखक कौन है?
Ans. भारत की खोज नामक पुस्तक के लेखक जवाहरलाल नेहरू है।
Q. वास्कोडिगामा कौन था ?
Ans. वास्कोडिगामा एक पुर्तगाली नाविक था।
Q. वास्कोडिगामा भारत के किस स्थान पर पहुंचा था?
Ans. वास्कोडिगामा भारत में गोवा के कालीकट नामक स्थान पर पहुंचा था।